Dil Ki Aawaaz
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मिल गई हमको स्वतंत्रता
फिर भी हम गुलाम है
अपनी धरोहर को बचाने में
हम सभी नाकाम है
पाश्चात्य सभ्यता को अपना कर
हम बहुत है झूमते
मंदिर की घंटियों को भूल
पब में सकूँ ढूंढते
बरसों से जिसको कहते आये देवी
आज करते उसका क़त्ल सरेआम है
मिल गई हमको स्वतंत्रता
फिर भी हम गुलाम है
अपने बड़ो की सेवा में
आने लगी हमको शर्म
इस लिए अब बनने लगे
अपने देश में भी वृद्धाश्रम
हमको पढ़ा लिखा कर बड़ा करने का
उनको अच्छा मिला परिणाम है
मिल गई स्वतंत्रता फिर भी हम गुलाम है
अपनी धरोहर को बचाने में
हम सभी नाकाम है |
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