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इंसान

Dil Ki Aawaaz
Dil Ki Aawaaz
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इंसान को जान पाना आसान नहीं होता
वो है एक अजीब सा जीव
अपनी जिंदगी से उसे कभी इत्मीनान नहीं होता ,
बदलता है वो इतने रंग अपने जीवन में
मगर एक भी रंग का निशान नहीं होता ,
भटकता है वो जिंदगी भर जिंदगी बिताने के लिए
मगर रह सके जहां वो सकूँ से ऐसा कोई मकान नहीं होता ,
खुशियो की चाह में दौड़ता है जिंदगी भर
नहीं जानता खुशियों को पाने का कोई सामान नहीं होता ,
छोड़ कर अपनी असलियत आज वो नकली हो गया
मंदिर की घंटियों को छोड़ कर पब में वो खो गया
जबकि पब में तो कोई समाधान नहीं होता ,
अपनी अय्याशियों में झूल गया इस कदर
अतिथि देवों भव को भूल गया इस कदर
अब तो बरसों उसके घर में कोई मेहमान नहीं होता ,
बुद्धि विवेक सब बेकार कर दिया
खुद को पहचानने से इंकार कर दिया
पा सकता था बहुत कुछ अगर नादान नहीं होता ,
इससे तो अच्छा था की वो इंसान नहीं होता |

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