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भारतवर्ष की संतान होना ही अपने आप मैं बहुत बड़ी योग्यता है क्योकि ये वो देश है जो सदियों से अपनी परंपरा और संस्कृति से जाना जाता है | वो संस्कृति जो अनेकता मैं एकता का आभास करवाती है , अपने पराये का भेद मिटाती है |”अतिथि देवो भव” का पाठ सिखाती है ,मिल कर हर मुश्किल का सामना करना सिखाती है |
लेकिन आज जब मैं इस देश के की हालत देखती हूँ तो मन को बहुत दुःख होता है की ये वो ही देश है जो किसी के सम्मान मैं सर झुकाना सिखाता था यहाँ तो आज देश को चलाने वाले ही सर झुकाना भूल कर सर काटने पर आमादा है | शर्म आती है ये देख कर कि कुर्सी के लालच मैं आज का इंसान क्या कर रहा है |
मैं कहती हूँ कि चुनाव तो होना ही है और वो भी योग्यता कि दृष्टि से लेकिन सभी पार्टियां अपनी योग्यता सिद्ध करने कि बजाय दूसरी पार्टी को अयोग्य साबित करने कि कोशिश मैं लगी है | एक दूसरे पर शब्दों के तीर छोड़ें जा रहे है यहां तक कि देश की मर्यादा का भी किसी को ख्याल नहीं |चाहे जो भी हो जाए मुझे तो जीत हांसिल करनी ही है इसके भले इसके लिए दूसरी पार्टी को जलील करना पड़े तो भी चलेगा ,इतनी गन्दी सोच वाले लोग देश का क्या भला करेंगे |
जीतनी मेहनत दूसरी पार्टी को अयोग्य साबित करने के लिए की जा रही है उतनी ही अगर अपनी योग्यता साबित करने के लिए करे तो समझ मैं आ जाये की की हम जिस कुर्सी के लिए लड़ रहे है हम उसके लायक भी है | गरीब जनता को भरमा कर उनके दिलो से खेल कर उनकी भावनाओ को सीढ़ी बना कर आगे बढ़ने से क्या फायदा क्योकि इस आगे बढ़ने के चक्कर मैं हम कितनी पीछे आ गए ये कोई नहीं सोचता |
जो आज अपने फायदे के लिए किसी को नीचे दिखा रहे है वो क्या कल हमको भी अपने फायदे को मोहरा नहीं बना लेंगे इस लिए क्यों दे ऐसी सोच वाले लोगो को वोट जो सिर्फ और सिर्फ अपना फायदा चाहते है वो देश के लिए नहीं अपने लिए उस पद पर नियुक्त होना चाहते है | मन घबरा सा गया है क्या इसी दिन के लिए हज़ारो लोगो ने अपनी जान दी और देश को आज़ाद करवाया ? क्या इसी दिन के लिए हज़ारो लोगो ने कई कई दिन भूखे रह कर बिताये या अनशन किया ? क्या मिला उनको जो देश के लिए जिए और देश के लिए मर गए आखिर तो देशवासी ही आपस मैं लड़ रहे है वो भी इस कदर की जिसमे कोई सीमा कोई मर्यादा बाकी न रही |
मानती हूँ ऐसा करना पड़ता है तो करो न भई रोक किसने है पर उन बातो पर प्रकाश डालो जिसमे ये पता चले की कब कहाँ उस पार्टी ने अपने स्वार्थ के लिए देश का धन प्रयोग किया ,कब गरीब जनता को पीठ दिखाई ,कब कमजोर की लाठी तोड़ी ,कब असहाय को निसहाय छोड़ा , ये सभी बाते प्रकाश डालने योग्य है पर किसी के निजी जीवन मैं हस्तक्षेप करना और उसको नीचे दिखाना कहाँ की समझदारी है |
इस तरह की सारी समझदारी दिखा कर वो लोग क्या साबित करना चाहते है अपनी योग्यता या अयोग्यता |
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