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क्यों कभी कभी होता है मन उदास
सब होते है ,
फिर भी होता नहीं कोई पास ,
अपने आप से भी दूर हम हो जाते है
न देख पाये कोई खुद को हम छुपाते है |
अपनी ही दुनिया में खुद को ढुढते रह जाते है
करे लाख कोशिश फिर भी ये समझ नहीं पाते है,
ये जिंदगी मिली है क्यों?
किस लिए हम आये है ?
जो सत्य में अपना है उससे रहते हम पराये है
भटकते है उस सबको पाने के लिए जिसको छोड़ कर जाना है
याद करते है उनको जिन्होंने एक दिन हमे भुलाना है
जो मिला है उसका शुक्राना नहीं
है जिद्द , जो नहीं है उसको पाना है
वक्त की कीमत बेवक्त समझ में आती है
अपने आप पर खुद को भी हंसी आती है
क्यों बिता दिया जीवन व्यर्थ की बातो मैं
क्या पाया हमने उन मुलाकातों में
मिली पल भर की खुशी
और बीत गया जीवन गम की बरसातों में
क्यों दुनिया की चीज़ो से खुद को जोड़ दिया
क्यों उस रब से नाता तोड़ दिया
जो हर पल साथ निभाता है
और बदले में कुछ नहीं चाहता है
और बदले में कुछ नहीं चाहता है |
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