Dil Ki Aawaaz
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वक्त को वक्त पर पहचान पाता तो
शायद वक्त भी हैरान हो जाता ,
वक्त वक्त पर ही सामने आता है
वक्त से पहले वक्त को कोई नहीं समझ पाता है ,
वक्त करता बड़े कमाल है
कभी गमों के पैमाने देता तो
कभी खुशियों की करता बोछार है ,
वक्त को कोई नहीं जीत पाया है
वक्त के आगे सबने सर झुकाया है ,
वक्त हर वक्त कुछ सिखाता है
वक्त तो हारी हुई बाज़ी भी जीत जाता है ,
वक्त को समझ कर चलने में ही समझदारी है
जिसने की वक्त की बेकद्री उसने जीती हुई बाज़ी भी हारी है ,
वक्त न अपना है
वक्त न बेगाना है
वक्त के जो मन में आये
उसने तो कर जाना है ,
वक्त की हर बात निराली है
वक्त ने तो हर मुश्किल टाली है
वक्त तो लाता खुशहाली है ,
वक्त वक्त की बात है
आज ये मैं लिख रही जो वक्त की कविता
ये भी वक्त की करामात है |
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