Dil Ki Aawaaz
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वक़्त को वक़्त नहीं कि वो आराम ले सके ,
सूर्य अपनी रौशनी का सलाम ले सके ,
रात खो गई न जाने किन अंधेरो में,
भटकती है जिंदगी शायद कोई पहचान ले सके ,
दौड़ती जा रही है दुनिया इक रेस में ,
सबकी है कोशिश कि वो इनाम ले सके ,
धुंध में ढूंढ रहे है ख़ुशी न जाने कौन सी ,
और दिया जिसने सब कुछ शायद कभी उसका नाम ले सके |
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