Dil Ki Aawaaz
- 67 Posts
- 79 Comments
“ख्वाइशों का आसमान ज्यादा न था
मिला सब कुछ अपने आप कुछ पाने का इरादा न था
जमीं मिलती गई कदम बढ़ते गए मंजिलो का अंदाजा न था
खुलती रही किस्मत की बंद खिड़की लेकिन कोई दरवाज़ा न था ” |
“रौशनी के लिए बाती को भी जलना पड़ता है
अँधेरा भगाने के लिए मोम को भी पिघलना पड़ता है
क्या हुआ गर हमने थोडा सा दर्द पी लिया
वर्ना लोगो को तो जीने के लिए जहर भी पीना पड़ता है “|
“मुझ पर शब्दों के वार न कर
मैं सह जाउंगी
मैं तो एक नदी हूँ
कांटो पर भी बह जाउंगी
तुझे मिलेगा न सकूँ मुझे आग लगाने के बाद
मैं तो जल कर भी मिट्टी कहलाऊंगी “|
“घर बैठे ही नाम कमाऊंगी
सब की नज़रों मैं इज़ज़त पाउंगी
कहने को तो मैं करती कुछ भी नहीं
बिन किये ही मशहूर हो जाउंगी”|
Read Comments