- 67 Posts
- 79 Comments
ये तो प्रकृति का नियम है कि हर दिन के बाद नया दिन ,हर हफ्ते के बाद नया हफ्ता ,हर महीने के बाद नया महीना और हर साल के बाद नया साल आता ही आता है | प्रकृति तो अपना नियम बखूबी निभाती है पर क्या हमने कभी अपने अंदर झांक कर देखा क्या हमने कभी अपने लिए कोई नियम बनाया और अगर बनाया तो क्या उसको बखूबी निभाया और अगर निभाया तो उससे किसी को कुछ भी फायेदा पहुँचाया |
हमने आज तक जो भी किया अपने लिए किया जो भी नियम बनाये अपने हित में बनाये क्या कभी भी कोई ऐसा नियम बनाया जो दुसरो को हित पहुंचा सके उनकी तरक्की में सहायक हो सके | आज का समय जो चल रहा है उसमे सभी स्वार्थी हो गए है जब सोचते है अपने बारे में सोचते है यहाँ तक कि दूसरों का भले नुक्सान हो जाये पर हमारा फायेदा होना चाहिए ऐसी गन्दी और नीची सोच पर शर्मिंदगी होती है |
नया साल आया सबने खूब जोश से मनाया |अपने अपने तरीके से सबने उसका स्वागत किया किसी ने रात पार्टी में बिताई किसी ने घर पर ही तरह तरह कि डिश बनाई | कोई अपने आश्रम में नए साल का पहला दिन बिताता है तो कोई गोआ घूमने जाता है | सबने न जाने कितना पैसा लगा दिया नए साल का स्वागत करने में लकिन किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा अजी लाइफ को इंजॉय भी तो करना है | और आज के परिवेश में वो ही इंजॉय कर रहा है जो ज्यादा घूमने जाता है ,जो पार्टी में ड्रिंक करता है ,और बिना झिझक उल्टा सीधा डांस करता है | दूसरी ओर किसी का मज़ाक बनता है और उलटे सीधे कपड़े पहन कर उल्टा सीदा डांस करने वाला हीरो हो जाता है |
यही दूसरी तरफ कभी किसी ने सोचा कि में नए साल का पहला दिन किसी कि मदद करूँगा |जो भी जितना भी में कर सकता हूँ में किसी गरीब कि सेवा करुँगा ,किसी भूखे को भोजन करवाऊंगा ,जिसके पास गरम कपड़े नहीं है उसको गरम कपड़े खरीद कर दूंगा न जी ये तो वेस्टेज ऑफ़ मनी है उल्टा लोग जवाब देते है अरे भी हम तो खुद ही गरीब है इतनी महंगाई है कि अपना घर चलना ही मुश्किल हो रहा है और आप सेवा और मदद कि बात करती है अगर कोई है तो मेरी मदद कर दे इस तरह के जवाब लोग देते है पर कहीं इंजॉयमेंट कि बात हो तो अरे आप बोलिये कितना दे पर इंतज़ाम फर्स्टक्लास होना चाहिए आखिर हमारी इज़ज़त का सवाल है |
में कहती हूँ आखिर कब तक झूठी खुशियो में जीते रहेंगे कब असलियत को अपनाएंगे | हमको तो अपना सारा समय अपनी असली ख़ुशी को हांसिल करने में लगाना चाहिए ,वो ख़ुशी जो किसी भूखे को भोजन करवाने के बाद मिलती है , वो ख़ुशी जो किसी वृद्ध कि सेवा के बाद मिलती है ,वो ख़ुशी जो किसी को बिना फीस लिए उसका काम करने के बाद मिलती है ,वो ख़ुशी जिसको पाने के बाद लगे कि जीवन सार्थक हो गया क्योकि न जाने कब किस साल में हमारा जीने का समय समाप्त हो जाए |
आप सभी अगर मुझसे सहमत है तो इस साल २०१४ को अपने जीवन को ऐसा औदा दीजिये कि आप को अपने जीने पर गर्व हो और कुछ ऐसा कर दिखाइये कि मरने का डर भी ख़त्म हो जाए |
”जो चाहों सवारना अपनी जिंदगी
तो कर लो प्रभु की बंदगी
तुम जाओगे जो उनकी पनाह में
न आएगी रुकावट तेरी राह में
हर पल तुम मुस्कुराओगे
गम में भी सकूँ पाओगे
हर मुश्किल टल जायेगी
जिंदगी तुम्हारी मुस्कुराएगी
बंदगी उसकी मुश्किल नहीं
बस करना वो , जिसमे दुखे किसी का दिल नहीं ”|
हैप्पी न्यू इयर टू आल ऑफ़ यू
Read Comments