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बढती हुई महंगाई से निम्न वर्ग तो क्या कहे मध्यम और उच्च वर्ग भी कराह रहा है , जीवन उपयोगी चीजों का मूल्य निरंतर बढ़ता ही जा रहा है जिसके कारण कई घरों मैं चूल्हा नहीं जल पाता और पेट कि भूख को शांत करने के लिए आज़ अपराध की भूख निरंतर बढती जा रही है . एक तरफ सरकार की कोशिश है की अपराध कम हो जाये दूसरी तरफ वो आये दिन महंगाई मैं वृद्धि करके आम आदमी की मुश्किलो को बढ़ाती जा रही है वो यह नहीं सोचती की आम आदमी अपना घर कैसे चलायेगा कैसे उसके घर मैं चूल्हा जलेगा उसकी आमदनी तो वही है परन्तु महंगाई बढ़ती जा रही है या तो उसकी आमदनी को भी सरकार को बढ़ाते रहना चाहिए ताकि वो जीपिकोपार्जन कर सके क्योंकि यदि वो समय पर अपना व् अपने परिवारजनों की आवश्यकता को पूरा नहीं कर पायेगा तो उसका मन विचलित होगा ऐसे मैं उसके समक्ष कई ऐसे कार्य आते है जिनको पूरा करने के लिए उसका अपराधिक प्रवृति का हो जाना उसकी मनःस्थिति के विपरीत है परन्तु ऐसा उसे मजबूरी वश करना पड़ता है क्योंकि या तो वो ऐसा करे या फिर अपने परिवार को भूख और क्रोध की आग मैं जलता छोड़ दे .
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