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आत्म नियंत्रण अर्थात अपने आप पर नियंत्रण एक सुखमय जीवन जीने के लिए हमे अपने आप पर नियंत्रण रखना नितांत आवश्यक है जिस तरह हम अपनी किसी बहुत प्रिय वस्तु को बड़ी सतर्कता से सहेज कर रखते है और समय समय पर उसकी जाँच भी करते है उसी तरह हमे स्वयं को भी सहेज कर चलना चाहिए और समय समय पर अपनी जाँच भी करनी चाहिए कि कही हमारे अंदर कोई अवगुण तो नहीं प्रवेश कर गया सर्वप्रथम हमे अपने आप को एस बात के लिए बाधित करना होगा कि जो भी हमसे हमारे बड़े वोचाहे माता पिता हो या विद्यालय कि अध्यापिका वो जो भी हमे समझातीं है हमे उनकी बातो को मान्य करना चाहिए क्योकि जब हम छोटे होते है तो हमारी सोचने समझने कि शक्ति भी छोटी होती है इसलिए हम सही और गलत का निर्णय नहीं कर सकते अपने बड़ो की आज्ञा मनाने की आदत आत्म नियंत्रण की पहली सीढ़ी है एक नियंत्रित जीवन जीने के लिए हमे अपनी सोच को उस स्थान पर केंद्रित करना होगा जहाँ से हमारा तो हित हो ही परन्तु किसी अन्य का अहित न हो ऐसा कदापि नहीं सोचना चाहिए कि किसी अन्य को कष्ट पहुँचा कर हम सुख कि अनुभूति करे क्योकि इस प्रकार का सुख भोग कर हम अपना भविष्य अंधकारमय बनाते है हमे अपनी इक्छाओ पर नियंत्रण रखना होगा असीमित इक्छाओ के कारन हम जीवन मैं अनेक बार क्रोधित और अपमानित होते है और कई बार तो उन्हें पूरा करने के लिए हम अपशब्दो का भी प्रयोग करते है जो कि हमारे लिए उचित नहीं है क्रोध तो मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन होता है वो जब आता है तो सब दूर हो जाते है यहाँ तक कि हम अपने आप से भी दूर हो जाते है अपने पर नियंत्रण खो देते है इसलिए हमे जीवन मैं क्रोध के आने के सारे दरवाजे बंद करने होंगे जीवन को विकसित करना है तो क्रोध को लालच को दूर करके अपनी भावनाओ पर भी ध्यान देना होगा क्योकि जीवन मैं कुछ भी घटित होने पर उसका असर सीधे हमारे ह्रदय पर पड़ता है और ह्रदय बहुत भावुक होता है जो जीवन पर्यन्त हमे हमारे समक्ष प्रस्तुत करता रहता है इस लिए अपने सामने खुद को सदेव सही प्रस्तुत करने के लिए यह आवश्यक है कि हम अपने आप को अनुशाषित करे अपने वचनो को अनुशसित करे जब जितना जरुरी हो उतना ही बोले क्योकि एक बार मुख से निकले शब्द वापस नहीं आते इस लिए और उनका प्रभाव भी दिन प्रति दिन बढ़ता जाता है अतः हमे सदेव सीमित और ह्रदय को सकून पहुचने वाले वचनो का ही प्रयोग करना चाहिए समय से सभी कार्यो को संपन्न करते हुए हमे समय कि मूल्य़ता का भी ख्याल रखना चाहिए समय निकल जाने लाख कोशिशो के बाद भी मनुष्य अपनी ग्लानि को दूर नहीं कर सकता ये जीवन जो हम जी रहे है हमे प्रभु ने वरदान स्वरुप दिया है साथ ही कई ऐसी उपलब्धिया भी दी है जिनके प्रयोग द्वारा हम सुखी जीवन यापन कर सके इसलिए हमे आत्म नियंत्रण द्वारा अपने जीवन के प्रत्येक लक्ष्य को प्राप्त करते हुए प्रभु का धन्यवाद करना चाहिए
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