Dil Ki Aawaaz
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धर्म की परिभाषा न जान सका कोई
आज तक इसको न पहचान सका कोई
हिन्दू , मुस्लिम , सिख , इसाई तो भरे पड़े जहान में
पर कहाँ गया इंसान ये न जान सका कोई
मेरा मंदिर सुन्दर हो ,
मेरे मस्जिद का ऊँचा गुम्बद हो ,
मेरे गुरूद्वारे की ऊँची शान हो ,
मेरा चर्च ही हर इमारत से महान हो
बीत गया इसी कशमकश में जीवन
प्यार का न रहा नामों निशान कोई
मिलते है बड़े बड़े लोगो से सब शान से
इक गरीब की पुकार को अपना न मान सका कोई
धर्म की परिभाषा न जान सका कोई
धर्म की परिभाषा न जान सका कोई |
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